मंगलवार को किये गए इन टोटकों से बचाव होगा हर विपत्ति से और मिलेगा अपार धन लाभ
मंगलवार का दिन हनुमान जी का दिन होता है। यह दिन हिन्दू धर्म में बहुत ही ख़ास होता है। इस दिन सभी हनुमान भक्त हनुमान जी की आराधना करते हैं। हनुमान जी कभी भी अपने भक्तों को निरास नहीं करते हैं। वह अपने भक्तों की पुकार को हमेशा सुनते हैं और तुरन्त की उन्हें फल देते हैं। इसीलिए ऐसा भी कहा जाता है कि कलयुग में हनुमान जी ही एक ऐसे देवता हैं जो तुरंत फल प्रदान करते हैं।
जीवन की सभी मनोकामनाएं हो जायेंगी पूरी:
जो भक्त हनुमान जी की भक्ति करता है, उसे बल, बुद्धि और विद्या आसानी से प्राप्त हो जाता है। केवल यही नहीं उसके निकट भूत-पिशाच भी नहीं फटकते हैं। हनुमान की जीवन के सभी कष्टों का निवारण करते हैं और भक्त को सफलता प्रदान करते हैं। शास्त्रों में इनके बारे में कहा गया है कि ये अष्टचिरंजीवी हैं। अगर आपके जीवन में किसी तरह की कोई परेशानी है तो मंगलवार के टोटकों से आप उनसे निजात पा सकते हैं। इन टोटकों से जीवन की सभी समस्याओं का निवारण हो जाता है और सभी मनोकामनाएं भी पूरी हो जाती हैं।
अपनाएँ मंगलवार के ये टोटके:
*- अगर आप मानसिक समस्या से जूझ रहे हैं तो मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्ति की सेवा महीने में पड़ने वाले किसी एक मंगलवार को करें। जल्द ही आपको लाभ मिलना शुरू हो जायेगा।
*- साल में पड़ने वाले किसी भी मंगलवार के दिन अपना खून देने से आप हमेशा के लिए असामयिक दुर्घटनाओं से बचे रहेंगे।
*- अपने दुश्मनों से मुक्ति पाने के लिए देशी घी लगी हुई पाँच रोटियों का भोग मंगलवार को लगायें।
*- हनुमान की को मंगलवार के दिन सिंदूरी रंग की लंगोट पहनाने से व्यापार में खूब वृद्धि होती है।
*- मंगलवार के दिन की छत पर लाल रंग का झंडा लगाइए और जीवन के सभी आकस्मिक संकटों से मुक्ति पाइए।
*- अगर आपको जीवन में अपार धन-दौलत की चाहत है तो इस मंत्र का पाठ मंगलवार के दिन करें, आपकी सभी इच्छाएं पूरी होंगी,
मर्कटेश महोत्साह सर्वशोक विनाशन ।
शत्रून संहर मां रक्षा श्रियं दापय मे प्रभो ॥
*- अपने दुश्मनों पर विजय प्राप्त करने के लिए मंगलवार को इस मंत्र का जाप करें,
ॐ पूर्वकपिमुखाय पच्चमुख हनुमते टं टं टं टं टं सकल शत्रु सहंरणाय स्वाहा।
*- अगर आप जीवन में भूत-प्रेत से परेशान हैं तो इस मंत्र का पाठ करें,
ॐ दक्षिणमुखाय पच्चमुख हनुमते करालबदनाय।
नारसिंहाय ॐ हां हीं हूं हौं हः सकलभीतप्रेतदमनाय स्वाहाः।।
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