जाने कहाँ हुई थी राम-हनुमान जी की मुलाकात, 99% लोग हैं इससे अनजान
अगर हम आज के युग में भारत के नक़्शे में किष्किंधा नाम की जगह को खोजेंगे को वो हमे नहीं मिलेगा ये हमारे भारत का दुर्भाग्य ही है की नक़्शे से इतनी महत्वपूर्ण जगह गायब है और साथ ही साथ उससे बड़ी बुरी खबर ये है की आज इस जगह के असली महत्व के बारे में लोग अनजान है यहीं पर भगवन श्री राम जी का और पवन पुत्र हनुमान जी का मिलान हुआ हुआ था।
अगर हम आज लोगो के जन्म की जगह के बारे में पूछे तो लोग एक दूसरे का मुँह देखने लग जाएंगे या फिर कुछ लोग महाराट्र की तरफ ऊँगली कर देंगे की यहाँ उनका जन्म हुआ था हम आज आपको दोनों जगहों का सही ज्ञान कराने वाले है। कर्णाटक में दो जिले है बेल्लारी और कोप्पर जब भगवान् श्री राम जी और लक्ष्मण माता सीता को खोज रहे थे रामायण का काफी भाग इसी स्थान से है जो उस समय किष्किंधा नाम से था किन्तु आज ये नाम सिर्फ रामायण में ही है।
कहाँ हुई थी राम-हनुमान की मुलाकात
सही जानकारी के अनुसार ये है कि कर्नाटक में स्थित हम्पी शहर में बेल्लारी जिले पड़ता है यही वो जगह है जहा पर हनुमान जी भगवान श्री राम जी से पहली बार मिले थे ये हम्पी नगर हनुमान जी के पिता केसरी जी का साम्राज्य हुआ करता था यदि आप कभी हम्पी जगह घूमने जाते है तो वह की विशाल विशाल गुफाओ को देखकर जरूर सोच में पड़ जाएंगे की यहाँ जरूर बहुत ही विशाल काय लोग रहा करते होंगे। हमारे शाश्त्रो में इसे वानरों की नगरी कहा गया है यहाँ के पहाड़ बहुत ही बड़े बड़े पत्थरो से बनाए हुए है एक के ऊपर एक रखे हुए है और कभी गिरते या सरकते भी नहीं है।
जब भगवान् श्री राम माता सीता की खोज में घूम रहे थे तब नगर में खूबसूरत लोगो को देखकर हनुमान जी ने ब्राह्मण का वेश बदलकर इनकी खोज की थी। हम्पी में हनुमान जी का एक बहुत ही शक्तिशाली मंदिर है लेकिन हनुमान जी के भक्त लोग इस मंदिर के बारे में नहीं जानते है और यही पर हर साल हनुमान जयंती पर बहुत ही बड़ा एव विशाल मेला लगता है.
जब भगवान श्री राम माता सीता जी को लेकर वापस अयोध्या आ रहे थे तब राम जी ने रस्ते में माँ सीता को किष्किंधा पूरी के बारे में बताया था इस बात का सारा वर्णन रामायण में दर्ज है।
हनुमान जी के जन्म की कथा
भगवान हनुमान जी का जन्म कर्नाटक की किष्किन्धा में हुआ था यहाँ पर अंजना पर्वत भी है और जहाँ उसके ऊपर एक विशालकाय मंदिर भी यह मंदिर पहाड़ की ५०० सीढ़ियों को चढ़ने के बाद आता है एक बात और बता दे की हनुमान जी के जन्म का प्रमाण तो यहाँ भी नहीं है लेकिन ये जरूर निश्चित है की हनुमान जी के माता पिता ने इनके जन्म के लिए यही तपस्या, यहीं पर हनुमान जी के जन्म का आशीर्वाद मिला था यहाँ एक मूर्ति भी है जिसमे हनुमान जी माँ अंजना की गोद में खेल रहे है ये जगह हनुमान जी के जन्म का स्थान इसलिए कहा जाता है क्योकि यही पर माता अंजना ने आर्शीवाद लेके हनुमान जी के जन्म को निश्चित किया था और पास में ही पिता केशव का साम्राज्य था इसीलिए हनुमान जी के जन्म का स्थल किष्किंधा माना जाता है।
इसी जगह पर रामायण से जुडी और भी बहुत सारी जगहे है शबरी स्थान और पाम्पा का सरोवर जैसी जगहों के दर्शन किये जा सकते है ऐसा कहा जाता है की ये पूरा राज्य ही वानरों का हुआ करता था यदि कोई इंसान यहाँ जाकर घूमता है तो किसी तीर्थ स्थान के घूमने जितना फल कमाने सामान है आप भी अपने जीवन में एक बार अवश्य जाए।