इस मुसलमान आदमी के अंदर धड़क रहा है हिंदू दिल, मां से कहा- मेरे घर पूजा-पाठ करो
कभी-कभी इसी दुनिया में कुछ ऐसी बातें हो जाती हैं जिनके ऊपर विश्वास करना आसान नहीं होता है. मगर ये सब सच है ये सोचकर विश्वास करना पड़ता है. कुछ ऐसी ही कहानी है एक आदमी की जिसके साथ कुदरत ने ऐसा घिनौना खेल खेला जिसे वो पूरी जिंदगी याद रखेगाग. दो हफ्ते पहले ही अस्पताल से लौटा सीन में नया दिल लिए तभी अचानक पता चला कि उसे जो दिल मिला है वो एक हिंदू का दिल है. इस मुसलमान आदमी के अंदर धड़क रहा है हिंदू दिल, डॉक्टर की परमिशन लेकर वो उसके गांव गया और फिर क्या हुआ आप खुद पढ़िए.
इस मुसलमान आदमी के अंदर धड़क रहा है हिंदू दिल
गुजरात के आणंद में रहने वाले सोहेल का साल 2017 में एक हादसे में ब्रेन डेड हो गया था. अस्सपताल की कहानी यहीं खत्म नहीं होती और यहीं से आपको मजहब की अलग ही मोहब्बत सुनने को मिलेगी. इसमें अमित की मां सोहेल को अपना बेटा मान लेती हैं और सोहेल भी इकरार करता है वो उसके पास रहने आया है. घर में खाना भी उनके तरीके से बनेगा और इबादत के साथ-साथ पूरे रीति-रिवाज से पूजा भी होगी. ये कोई फिल्म कहानी नहीं है बल्कि हक़ीकत है. साल 2001 में सोहेल के सीने में तेज दर्द हुआ और उसको लगा कि खाने की वजह से उसे बदहजमी हो गई है. वो काम में लग गया लेकिन मिनटों में दर्द फिर शुरु हो जाए. पसीने से नहाया हुआ जैसे-तैसे एक साथी के पास पहुंचा और फिर अस्पताल गया. वहां ऐसी खबर मिली कि उसके होश उड़ गए.डॉक्टर ने दोबारा चेकअप किया तो पक्का यकीन है गया. वो बीमार था और उसकी सांस फूलती थी. कुछ भी करता दम घुटने लगता और बेचैनी सी होने लगती. पक्का कारोबारी सोहेल को एक दिन अपनी दुकान बेचनी पड़ी और दूसरी शॉप में काम के लिए स्टाफ रखना पड़ा था. वो घर में रहने लगा और दवाएं खाकर यही सोचता था कि क्या वो ठीक हो जाएगा.
साल 2005 से 2017 तक वो आणंद से बाहर नहीं गया और जा भी नहीं सकता था क्योंकि अगर वो गया तो लौट के नहीं आ पाएगा ऐसा उसे बताया गया था. सोहेल को दिल की बीमारी थी और उसे कहीं भी बाहर जाना मना था और जब उसकी मां को पता चला तो बहुत रोई लेकिन उसे छोड़कर नहीं गई. उसी हिम्मत के कारण सोहेल आज भी जिंदा है. दिल की बीमारी सर्दी बुखार से अलग होती है और सबसे बड़ी मुश्किल ये है कि इसमें सांस लेने के लिए कोशिश करनी पड़ती है. दवाओं के सहारे रहा लेकिन वो ठीक होने लगा. उसने शादी की और पत्नी की सलाह से एक बच्ची गोद लेली जिसका नाम हुमा रखा था. फिर एक दिन जब परेशानी ज्यादा बढ़ी तो वे लोग अहमदाबाद गए और डॉक्टर ने कहा कि सिर्फ हार्ट ट्रांसप्लांट ही इनकी जान बचा सकता है. बिना जवाब दिए सोहेल अपनी पत्नी के साथ लौट आया लेकिन दिन पर दिन वो बीमार पड़ रहा था. फिर साल 2017 में उसके बीमार दिल को हटाकर एक जवान दिल लगाना ही पड़ा. सोहेल को पता चला कि ये दिल किसी अमित नाम के नौजवान का दिल है जिसकी मौत हो गई है. उसे अमित की मां की याद सताने लगी और जब वो सोता था तो उसे अमित की मां दिखाई देती थीं. ऐसा अक्सर फिल्मों में दिखाया जाता है लेकिन ये सब सोहेल के साथ हो रहा था. उसके हाथ-पैर ठंडे पड़ जाते थे और फिर वो अपना चेहरा देखता था.
दिन रात सोचते-सोचते उसने सोचा जिसने अपनी जवान औलाद खोई है उससे मिलना चाहिए. इसी ख्याल के साथ वो उनसे मिलने उनके गांव गया और देखा कि दो कमरों के छोटे से घर की छत से सिर छू हा था फिर मां आई और उसने बताया कि वो उनसे मिलने दूर से आया है. सोहेल ने उनको बताया कि उनके बेटे का दिल उसके अंदर लगा है. ये सुनते ही मां उसे सीने से लगाकर रोने लगी और सोहेल भी खूब रोया. सोहेल के अनुसार, ‘अमित के सिवा उनका कोई नहीं था तो मैंने फैसला किया कि अब वो मेरे घर मेरे परिवार के साथ रहेंगी. जहां वे जैसे रहना चाहें रहें. हमारी इबादत के साथ उनकी पूजा भी होगी क्योंकि मैंने अपनी मां खोई और उन्होंने अपना बेटा. अब हमारा रिश्ता ही मां-बेटे का हो गया है.’