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बेटों के आलिशान मकान होने के बाद भी भटक रहे हैं बूढ़े मां-बाप, इनकी कहानी पर आप भी रो पड़ेंगे

देश में बहुत सारे ऐसे मुद्दे हैं जिन्हें कोई सरकार नहीं बल्कि हमारा मन ही ठीक कर सकता है. इस दुनिया में अच्छे लोग दिखते हैं और हर कोई अपने माता-पिता से प्यार करता है तो फिर ये वृद्ध आश्रम में किनके माता-पिता रहते हैं ? ये बहुत ही गहराई से सोचने वाली बात है और पिछले दिनों एक और वृद्ध माता-पिता की कहानी सामने आई जिनके बेटों के आलिशान मकान होने के बाद भी भटक रहे हैं बूढ़े मां-बाप, आखिर ऐसा क्यों हो रहा है इनके साथ चलिए जानते हैं.

बेटों के आलिशान मकान होने के बाद भी भटक रहे हैं बूढ़े मां-बाप

उमेश चंद्र

माता-पिता को भगवान का दूसरा रूप समझा जाता है और इनकी सेवा करने से ही चारो धाम की यात्रा हो जाती है. मगर आज के दौर में कुछ ऐसे भी बेटे हैं जो अपने बूढ़े मां-बाप को बोझ समझते हैं. बेटे अपने आलीशान मकान में किराएदार रख सकता है लेकिन बूढ़े माता-पिता के लिए जगह नहीं होती कुछ ऐसा ही आगरा के रामलाल वृद्धाश्रम में रह रहे एक ऐसे बुजुर्ग की कहानी है जिसे उन्होंने खुद एक वेबसाइट को बताया है. नाई की मंडी में रहने वाले उमेश चंद्र की कहानी बहुत ही दर्द से भरी है और जिस बेटे की एक मुस्कान देखने के लिए वे अपनी खुशियों को नजरअंदाज कर देथे थे उसी बेटे ने पिता को चोरी के इल्जाम में घर से निकाल दिया. बेटे के दो मकान हैं लेकिन पिता को वृद्धाश्रम में रहने के लिए मजबूर कर दिया. पहले तो वो कभी मिलने भी आया करता था लेकिन अब नहीं आता. कभी-कभी बेटी मिलने आ जाती है उसमें भी उनके बेटे को आपत्ति होती है.

अर्जुन नगर के सुनहरीलाल वर्मा के तीन बेटे हैं, जिनमें से एक बेटा विदेश में रहता है बाकी दो यहीं रहते हैं. सुल्तानपुरा में इनकी सर्राफा की दुकान थी और सबकुछ अच्छे से चलता था. इसके बाद सुनहरी लाल को रामलला वृद्धाश्रम की शरण लेनी पड़ी. उनके अनुसार कारोबार हाथ से जाने के बाद बेटों ने उनके साथ बहुत बुरा व्यवहार किया. उनको ना तो समय पर खाना देते थे और ना बीमार पड़ने पर दवा लाकर देते थे. वृद्धाश्रम में बेटे कभी-कभी मिलने आते हैं लेकिन उनसे वे उनसे नहीं मलिते क्योंकि बेटों से मिलकर क्या करना जब उनके जीवन में पिता का महत्व ही कुछ नहीं है हालांकि अब बेटे नहीं आते हैं.

भगवान स्वरूप गुप्ता और उनकी पत्नी

शहर में तीन मकान, एक दुकान के मालिक भगवान स्वरूप गुप्ता का भी यही हाल हुआ. समय बदलने पर आज दोनों पति-पत्नी वृद्धाश्रम में रहते हैं. बहू गाली-गलौज करती थी और बेटा भी अपने मां-बाप को मारने की बात करता था. बेटे ने दोनों को ये कहकर बाहर निकाल दिया कि उसके घर में उनकी कोई जगह नहीं है. भगवान स्वरूप के अनुसार बेटे ने उनकी प्रॉपर्टी के लिए मृत्यु प्रमाणपत्र भी बनवा लिया है. एक दो बार बेटा मिलने आया तो उन्होंने भी मिलने से मना कर दिया.

राजेंद्र शर्मा और उनकी पत्नी

इसी कहानी को आगे बढ़ाते हुए बताते हैं कि टेड़ी बगिया के रहने वाले राजेंद्र शर्मा और उनकी पत्नी ओमवती का अपना मकान और दुकान है लेकिन माता-पिता को बेटा अपने साथ नहीं रखता है. बहू ने दोनों को एक दिन ये कहकर कमरे में बंद कर दिया कि केरोसिन डालकर आग लगा देंगे. जिससे उनसे उसका पीछा छूट जाए. अपनों की दुत्कार और उत्पीड़न सहने के बाद इस बुजुर्ग दंपत्ति ने अपना मकान छोड़ दिया और वृद्धाश्रम में रहने पर मजबूर हो गए. दंपत्ति का कहना है कि हमें बहू के व्यवहार से कोई फर्क नहीं पड़ा लेकिन जब हमारे खून ने हमारे साथ ऐसा किया तो हमारा कलेजा फट गया.

रामलला वृद्धाश्रम के अध्यक्ष शिव प्रसाद शर्मा ने बताया कि आश्रम में शहर के ऐसे बुजुर्ग रहते हैं जो संपन्न परिवार से हैं. जिनके बेटों के पास पैसों की कोई कमी नहीं है फिर भी वे अपने माता-पिता को अपने पास नहीं रखते, इस वजह से आश्रम में बुजुर्गों की संख्या बढ़ रही है.

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