देवगुरू बृहस्पति को प्रसन्न करने के लिए करें ये उपाय, बदल जाएगी आपकी किस्मत
हिंदू धर्म में ग्रहों और नक्षत्रों पर लोग खासा विश्वास रखते हैं। ज्योतिष के अनुसार यदि आपके जीवन में किसी तरह की बाधा या परेशानी आ रही है तो इसका कारण आपके ग्रह होते हैं। बता दें कि ज्योतिष के अनुसार गुरू को एक शुभ देवता और ग्रह माना जाता है। यदि किसी व्यक्ति का गुरू बिल्कुल ठीक है तो उसके जीवन में सुख, सौभाग्य, धर्म लाभ और लंबी आयु प्राप्त होती है। लेकिन यदि यह ग्रह आपकी कुंडली में किसी पापी ग्रह के साथ बैठ जाता है तो व्यक्ति के जीवन में बाधाएं आना शुरू हो जाती हैं। यदि आपकी कुंडली में गुरू सही नहीं है तो ऐसा होने से व्यक्ति के विवाह में विलंब होता है। उसकी पढ़ाई-लिखाई में बाधा, मान-सम्मान में हानि, रोजी-रोजगार का संकट आदि झेलना पड़ता है। तो आज हम आपको अपने इस लेख में बृहस्पति की कृपा पाने और इनसे जुड़े दोषों को दूर करने के लिए क्या उपाय हैं वो बताते हैं।
1. बता दें कि ऐसा कहा जाता है कि बृहस्पति देवता को पीला रंग काफी पसंद होता है और यही वजह है कि उनकी पूजा में हल्दी का प्रयोग किया जाता है। इनको प्रसन्न करने के लिए हल्दी की गांठ को पीले रंग के वस्त्र में बांधकर अपने गले में या बाजू में पहनें।
2. बृहस्पति देव को प्रसन्न करने के लिए गुरूवार के दिन दाल, हल्दी, पीले वस्त्र, बेसन के लड्डुओं का दान करें और केले के वृक्ष पर जल चढ़ाएं।
3. इसके साथ ही प्रतिदिन भगवान विष्णु की पूजा करने के पश्चात हल्दी और चंदन का तिलक करें। वहीं ध्यान रखें की यदि आप कोई शुभ कार्य करने जा रहे हैं तो उसके पहले भी घर से ये तिलक लगाकर निकलें। ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से कार्य में सफलता मिलती है।
4. बृहस्पति देव को प्रसन्न करने के लिए प्रतिदिन ‘ॐ भगवते वासुदेवाय नमः’ मंत्र का एक माला जाप करें। भगवान विष्णु को पीले रंग के फल का भोग लगाकर लोगों को प्रसाद के रूप में बांटें।
5. भगवान विष्णु को प्रसन्न करने करने के लिए बृहस्पतिवार को विशेष रूप से विष्णुसहस्रनाम का पाठ करें। हो सकें तो इस पाठ को रोजाना करें। ऐसी मान्यता है कि इसका पाठ करने से आर्थिक रूप से होने वाली कोई भी परेशानी दूर हो जाती है साथ ही रूके हुए कार्यों में भी सफलता मिलेगी।
7. गुरुवार के दिन अपने गुरु का आशीर्वाद लें और उन्हें पीले रंग के वस्त्र उपहार में दें। गुरु का आशीर्वाद आपको गुरु ग्रह के शुभ फल दिलाएगा।