वो 6 मंदिर जहाँ पुरुषों की एंट्री पर हैं बैन, नंबर 3 में घुसने पर मर्दों को मिलता हैं शाप
जब भी भक्तों को भगवान का नाम लेना होता हैं तो वे मंदिर चले जाते हैं. मदिर एक ऐसी जगह हैं जो सभी के लिए सामान रूप से खुली रहती हैं. ऐसा माना जाता हैं कि भगवान की नजरों में हर कोई बराबर होता हैं. इसलिए यहां दर्शन करने आने पर किसी भी प्रकार की कोई रोक टोक नहीं होती हैं. मंदिर के दरवाजे सभी के लिए खुले होते हैं. लेकिन कुछ मंदिर ऐसे भी हैं जहाँ विशेष मौको पर पुरुषों का आना पूरी तरह से वर्जित होता हैं. इन मंदिरों में पुरषों की एंट्री पर बैन लगा हुआ हैं.
संतोषी माता का मंदिर (राजस्थान)
कुँवारी लड़कियां और सुहागन महिलाएं दोनों ही संतोषी माता का उपवास करती हैं. वैसे तो पुरुष भी संतोषी माँ की आराधना करते हैं लेकिन ज्यादातर संतोषी माँ के मंदिरों में शुक्रवार को पुरुषों के प्रवेश पर बैन लगा होता हैं. इसमें राजस्थान का संतोषी माता का मंदिर भी शामिल हैं.
माता मंदिर (बिहार)
बिहार के मुज्जफरपुर में बने माता के एक मंदिर में माँ के मासिक धर्म की अवधि वाले समयांतराल में पुरुषों की एंट्री पर पाबंदी होती हैं. यहां तक कि इस दौरान मंदिर के पुजारी भी अंदर नहीं जाते हैं.
सकलडीहा मंदिर (वाराणसी)
वाराणसी की सीमा पर बने सकलडीहा मंदिर में पुरुषों की एंट्री पर सख्त मनाही हैं. ऐसी मान्यता हैं कि यदि कोई मर्द इस मंदिर में जबरदस्ती घुस जाता हैं तो उसे माता रानी का शाप लगता हैं और उसका भाग्य दुर्भाग्य में परिवर्तित हो जाता हैं. इसलिए पुरुष इस मंदिर में डर के मारे नहीं घुसते और बाहर से ही हाथ जोड़ लेते हैं.
सावित्री मंदिर (राजस्थान)
ब्रह्माजी की पत्नी सविरती देवी का ये मंदिर राजस्थान के पुष्कर में स्थित हैं. ऐसा माना जाता हैं कि पुष्कर में यदि आप बरह्माजी मंदिर के दर्शन करते हैं तो आपको इस सावित्री देवी के मंदिर में भी अवश्य जाना चाहिए, वरना आपका दर्शन अधूरा रह जाता हैं. हालाँकि इस मंदिर में केवल महिलाएं ही एंट्री कर सकती हैं क्योंकि पुरुषों के जाने पर मनाही हैं. यहां औरते अपने सुहाग की रक्षा की मनोकामना करती हैं.
चक्कूलाथूकावु मंदिर (केरल)
केरल के चक्कूलाथूकावु मंदिर में सितंबर माह के पहले शुक्रवार धनु नाम का एक विशेष अनुष्ठान होता हैं. इसमें नारी पूजा होती हैं जिसे महिलाओं के चरण धोकर संपन्न किया जाता हैं. ऐसी मान्यता हैं कि इस दिन मंदिर में चक्कूलाथूकावु देवी प्रवेश करती हैं इसलिए इस दिन पुरुषों की एंट्री नहीं होती हैं.
अट्टूकाल देवी मंदिर (केरल)
इस मंदिर में हर साल भव्य पोंगल रखा जाता हैं. ये आयोजन लाखों की संख्या में सिर्फ महिलाओं के द्वारा अटेंड किया जाता हैं. पुरुषों को यहाँ आने की अनुमती नहीं होती हैं. इस दिन महिलाएं मंदिर में उत्सव मनाती हैं.
तो दोस्तों ये थे वो मंदिर जहाँ पुरुषों का जाना सख्त मना हैं. यदि आप भी इन मंदिरों में इस विशेष समय अवधि में चले जाए तो संभल कर रहिएगा. कहीं आप से कोई भूल चुक न हो जाए. वरना माता रानी के प्रकोप को झेलना पड़ सकता हैं. इसे दूसरों के साथ शेयर भी करे ताकि वे भी इस जानकारी का लाभ ले सके.