इंसान की पहचान उसकी योग्यता के आधार पर की जाती है, ना की उसके औदे को देखकर
एक राज्य में बहुत ही समझदार साहूकार रहा करता था। ये साहूकार हर चीज का दाम एकदम सही लगाया करता था। इस राज्य के लोग इस साहूकार पर काफी विश्वास करते थे और ये साहूकार जिस चीज का जो भी दाम लगाता था लोग बिना कोई मोल भाव किए उस दाम को मान लेते थे। एक दिन इस राज्य के राजा को इस साहूकार के बारे में पता चला। राजा ने अपने मंत्री से इस साहूकार के बारे में पूछा। मंत्री ने राजा को बताया कि ये साहूकार हर चीज को देखकर उसका सही मूल्य बता देता है। साहूकार की इतनी तारीफ सुनकर राजा ने मंत्री से कहा, तुम इस साहूकार को दरबार में लेकर आओ। मैं इस साहूकार की परीक्षा लेना चाहता हूं और ये देखना चाहता हूं, क्या ये साहूकार वाकई चीजों के सही दाम लगता है कि नहीं?
राजा की बात को मानते हुए मंत्री ने साहूकार को दरबार में बुला लिया। साहूकार को देखकर राजा ने उसे कुछ कीमती चीजें दिखाई और उन चीजों के दाम उससे पूछे। साहूकार ने बिना ज्यादा समय लिए हर चीजों का दाम बता दिया। साहूकार द्वारा बताए गए दाम एकदम सही निकले।
राजा ने साहूकार को और परखने के लिए उससे कहा, तुम्हें अब मैं जो चीज दिखाने जा रहा हूं तुम उसके दाम मुझे बताओं। ये कहे कर राजा ने दरबार में अपने बेटे को बुलाया और साहूकार से कहा, तुम इस राज्य के राज कुमार का दाम बताओं।
साहूकार राजा की ये बता सुनकर चौंक गया और डरते हुए उसने राजा से कहा, महाराज मैं राज कुमार के सही दाम तो बता दूंगा लेकिन आप ये वादा करें की आप क्रोधित नहीं होंगे। राजा ने साहूकार से क्रोधित ना होने का वादा किया और उससे अपने पुत्र की कीमत पूछी। साहूकार ने राज कुमार को देखते हुए कहा, महाराज राज कुमार के दाम दो रूपए से अधिक नहीं है।
साहूकार की ये बात सुनकर राज कुमार को गुस्सा आ गया और राज कुमार ने राजा से कहा कि इस साहूकार ने मेरी कीमत दो रुपए लगाई है। इस साहूकार को इस चीज की सजा दी जाए। लेकिन साहूकार की ये बात सुनकर राजा को गुस्सा नहीं आया और राजा खुश हो गया। दरअसल राजा समझ गए की साहूकार ने राजकुमार को एक साधारण व्यक्ति के तौर पर देखकर उसकी ये कीमत लगाई है। अगर राज कुमार रोज मजदूरी करे, तो उसे दिन के दो रूपए ही मिलेंगे। राजा ने राज कुमार को शांत करवाया और साहूकार की खूब तारीफ की। साहूकार के इस जवाब से खुश होकर राजा ने उसे इनाम के तौर पर ढेर सारे पैसे भी दिए।
इस कहानी से मिली सीख : इंसान की पहचान उसकी योग्यता के आधार पर की जाती है, ना की उसके औदे के आधार पर। आप के अंदर जितनी योग्यता होती है, आप अपने जीवन में उतने ही कामयाब बनते हैं।