रामायण के अनुसार इन बातों को अपनाने से सुख से बीत जाता है जीवन, कंगाली होती है दूर
रामायण ग्रंथ में श्री राम जी के जीवन का वर्णन किया गया है और भगवान राम जी के जीवन से हमें काफी कुछ सीखने को मिलता है। अगर हम अपने जीवन में भगवान राम जी से जुड़ी कुछ बातें शामिल कर लें, तो हमारा जीवन सुख और शांति से गुजर जाएगा।
श्री राम के जीवन से जुड़ी इन बातों को जरूर अपनाएं –
जीवन में मर्यादा और अनुशासन में रहें
भगवान श्री राम ने अपना जीवन मर्यादा और अनुशासनपूर्ण बिताया था और इसी तरह से हमें भी अपना जीवन मर्यादा और अनुशासनपूर्ण ही बिताना चाहिए। इंसान को अपना हर कार्य मर्यादा में ही रहकर करना चाहिए और अपने जीवन में अनुशासन को बरकरार रखना चाहिए।
मन में हमेशा रखें दया और प्रेम
जिस तरह से भगवान श्री राम के मन में हर किसी के लिए दया और प्रेमा का भाव हुआ करता था। उसकी तरह से हमारे दिल में भी हमेशा दूसरों के प्रति दया और प्रेम का भाव होने चाहिए। श्री राम ने अपने जीवन में हर किसी से केवल प्रेम ही किया था और जिससे भी मिलते थे उनका आदर किया करते थे। श्री राम ने रावण के प्रति भी अपने दिल में दया भाव रखा हुआ था। लेकिन रावण के अंहकार के कारण राम जी को उनका वध करना पड़ा।
सबसे समान व्यवहार
भगवान राम सब लोगों के साथ सामान व्यवहार करते थे और कभी भी किसी के साथ उनके लिंग, औदे और पद के आधार पर भेदभाव नहीं किया करते थे। राम जी जिससे भी मिलते थे उनसे प्यार से ही बात करते हैं और हर किसी को एक सा ही सम्मान दिया करते थे। इसलिए आप भी हमेशा लोगों के साथ समान व्यवहार करें और औदा और पद के आधार पर लोगों के साथ भेदभाव ना करें।
पत्नी का सम्मान और रक्षा करें
भगवान राम जी सीता मां से काफी प्रेम किया करते थे और सदा उनका सम्मान किया करते थे। राम जी ने सीता मां की रक्षा करने हेतु रावण जैसे बलवान राजा से भी युद्ध किया था और रावण की कैद से सीता मां को रिहा करवा दिया था। राम जी की तरह ही आप भी अपनी पत्नी के प्रति दिल में सदा सम्मान रखें और उसकी रक्षा करें।
वचन का महत्व
श्री राम के जीवन में वचन की काफी अहमियत थी और श्री राम अपने जीवन में जो भी वचन देते थे उसे पूरा जरूर किया करते थे। श्री राम ने अपने पिता द्वारा दिए गए वचन को पूरा करने के लिए 14 साल का वनवास किया था और 14 साल अपने घर से दूर रहे।
भाईयों के प्रति प्रेम
श्री राम के दिल में अपने भाईयों के लिए काफी प्रेम था और उन्होंने कभी भी ये प्रेम कम नहीं होने दिया। श्री राम की तरह ही उनके भाईयों के दिल में भी उनके प्रति काफी प्रेम था और इसी प्रेम के कारण लक्ष्मण जी उनके साथ वनवास पर गए और भरत ने उनको मिली राजगद्दी को ठुकरा दिया। राम जी की तरह ही आप भी अपने परिवारवालों और भाईयों के प्रति प्रेम भाव बनाए रखें।