इस बुरे कर्म की वजह से राजा दशरथ से दूर हुए थे राम
वाल्मीकि द्वारा लिखे गए रामायण ग्रंथ में कर्मों की अहमियत को बताया गया है और लिखा गया है कि जो लोग अच्छे कर्म करते हैं उन्हें फल भी अच्छा ही मिलता है। वहीं जो लोग बुरे कर्म करते हैं उनके साथ जीवन में केवल बुरा ही होता है।
हम जो कर्म करते हैं उसपर ही हमारा जीवन आधारित होती है। इसलिए इंसान को अपने जीवन में हमेशा नेक कर्म ही करने चाहिए। राजा दशरथ जो कि एक महान राजा थे और राम जी के पिता थे उन्होंने अपने जीवन में कई सारे अच्छे कर्म किए थे। जिसकी वजह से उन्हें राम जी जैसी संतान मिली थी। लेकिन राजा दशरथ द्वारा किए गए एक बुरे कर्म की वजह से उन्हें राम से अलग होना पड़ा और अपने जीवन के आखिरी पलों में कई सारे दुखों का सामना करना पड़ा।
इस कर्म की वजह से राजा दशरथ से दूर हुए थे राम
रामायण ग्रंथ के श्री राम वनवास प्रसंग में राजा दशरथ द्वारा किए गए एक पाप का वर्णन किया गया है और बताया गया है कि किस तरह से राजा दशरथ द्वारा युवावस्था में की गई एक भूल के कारण उन्हें अपने सबसे प्रिय बेटे राम से बिछड़ना पड़ा। श्रीराम के वनवास प्रसंग के अनुसार, जब राम जी सीता और लक्ष्मण के साथ वनवास पर थे। उसी दौरान राजा दशरथ को एहसास हुआ की आखिर उनके साथ ये सब क्यों हुआ। राजा दशरथ एक दिन अकेले कौशल्या के साथ बैठे हुए थे तब उन्हें याद आया की किस तरह से उनके द्वारा युवावस्था में श्रवण कुमार की हत्या की गई थी और श्रवण कुमार की हत्या की वजह से उन्हें श्राप मिला था।
अपनी पत्नी कौशल्या से बात करते हुए राजा दशरथ ने श्रवण कुमार की हत्या का जिक्र करते हुए कहा, एक बार में जंगल में शिकार करने के लिए गया था। लेकिन काफी देर तक मुझे शिकार करने के लिए कोई भी जानवर नहीं मिला। कुछ देर बाद मुझे एक नदी के पास आवाज सुनाई दी। मुझे लगा की शायद कोई जानवर पानी पीने के लिए नदी के किनारे आया है। मैंने फौरन अपना तीर उस दिशा की और छोड़ दिया। जैसे ही ये तीर निशाने पर लगा तो मुझे एक मनुष्य की आवाज सुनाई दी। मैं फौरान उसके पास गया। तब मैंने देखा की नदी के किनारे एक व्यक्ति पानी भरने के लिए आया था और अनजाने में मेरे से उस व्यक्ति की हत्या हो गई। उस व्यक्ति ने अपना नाम मुझे श्रवण कुमार बताया और मेरे से कहा कि मेरे मां बाप काफी बूढ़ें हैं और उन्हें प्यास लगी है। आप उन्हें जाकर पीने का पानी दे दो। मैं हिम्मत करके श्रवण कुमार के माता पिता के पास गया और उन्हें पूरी घटना बताई। अपने बेटे की मृत्यु की खबर सुनकर वो काफी दुखी हो गए और उन्होंने मुझे अपनी संतान से बिछड़ने का श्राप दे डाला। मेरे द्वारा युवावस्था में किए गए इस बुरे कर्म की वजह से आज मैं अपने बेटे राम से बिछड़ गया हूं और राम से अलग हो गया हूं।
राजा दशरथ के जीवन से जुड़ी ये कहानी हमें इस बात की सीख देती है कि इंसान द्वारा किए गए बुरे कर्मों का फल उसे एक दिन जरूर मिलता है।