इस एक्ट्रेस के पिता ने नहीं चुकाई थी स्कूल की 2 रूपए फीस, इसलिए नहीं कर पाई पढ़ाई
बॉलीवुड इंडस्ट्री में आना और अपनी पहचान बनाना बहुत ही बड़ी बात होती है, क्योंकि इस इंडस्ट्री में हर साल ना जानें कितने लोग अपनी आंखों में एक स्टार बनने का सपना लेकर के सपनों की नगरी मुंबई पहुंचते हैं। जहां कुछ लोग अपनी पहचान इस इंडस्ट्री में बना लेते हैं तो वहीं कुछ ऐसे भी होते हैं जिनका ये सपना पूरा नहीं हो पाता है। आज हम आपको एक ऐसी ही अदाकारा के बारे में बताएंगे, जिन्होंने फिल्मों में आने के बारे में कभी सोचा तक नहीं था। लेकिन किस्मत ने उनको इस इंडस्ट्री में एंट्री दिलवाई साथ ही वो एक जानी-मानी अदाकारा भी बनीं।
हम बात कर रहे हैं 70 के दशक की जानी-मानी अदाकारा अरूणा ईरानी की। बता दें कि हाल ही में अरूणा और बिंदू ने सुपर डांसर चैप्टर 3 में शिरकत की थी। शो में अरूणा ने ना सिर्फ बच्चों के साथ खूब मस्ती की बल्कि अपनी लाइफ के कुछ ऐसे किस्सों के बारे में बताया जिससे अभी तक सब एकदम अंजान थे। बॉलीवुड इंडस्ट्री में शुरूआत करने पर उनको किस तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा था। ये सब बातें अरूणा ने लोगों से शेयर की।
अपने स्ट्रगलिंग दिनों को याद करते हुए अरूणा ने बताया कि, “जब मैंने काम करना शुरू किया तब मुझे डांस नहीं आता था। जो भी सीखा वो सेट पर ही सीखा.” अरुणा ईरानी की ये बात सुनते ही शो की जज शिल्पा शेट्टी ने कहा, “अरुणा जी ऐसा कैसे हो सकता है। आप को डांस नहीं आता था। आपने कितने हिट नंबर दिए हैं. ”
शिल्पा की बात सुनकर अरुणा ईरानी ने कहा, “हम आठ भाई-बहन थे. पिता जी की सोच ऐसी थी कि लड़कियों को पढ़ाकर क्या करना। इसलिए छठी पास करते ही, जहां साइन करना आया, पढ़ाई बंद करा दी गई। इसकी वजह थी कि लड़कियों को पढ़ाकर क्या करना है। पढ़ाई तो लड़के करेंगे।”
अरुणा ने बताया, “पिता जी के पास उस वक्त इतने पैसे नहीं थे. उनके लिए दो रुपये की स्कूल फीस देना भी मुश्किल था। फिर 75 रुपये मास्टर जी को डांस की फीस देने की सोचना तो बेकार है। उस समय न तो टीवी होता, न ही आज की तरह इंटरनेट और कोई वीडियो भी नहीं होता था। मुझे काम तो मिल गया, और बस जो सेट में सीखा वहीं सब सीन में कर दिया। ”
अरुणा ईरानी ने बताया, “मेरे पापा को हमेशा ये लगता था कि मेरी जगह उनका बेटा होता तो अच्छा रहता। लेकिन जब मैंने घर संभाला, अपनी पहली कार खरीदी तो पापा को बहुत गर्व हुआ। “
अरुणा ईरानी ने बताया, “मुझे अच्छे से याद है पिता जी ने मरने से पहले एक दिन अस्पताल के बेड पर लेटे हुए कहा था, ये मेरी अरुणा नहीं अरुण है. बेटा है मेरा. अरुणा ने कहा, पिता जी का ये कहना मानो ऐसे था जैसे मैंने दुनिया की दौलत पा ली. उन्हें मुझ पर गर्व था.”
बता दें कि वहीं बिंदू ने भी अपने बचपन की एक बात याद करते हुए बताया कि, मैं भी घर पर सबसे बड़ी थी, इसलिए मेरी पढ़ाई नहीं हो सकी, लेकिन मैंने सोच लिया था कि मैं अपने छोटे भाई-बहनों की पढ़ाई कभी नहीं छुड़वाउंगी। आज मेरे घर में कोई डॉक्टर है तो कोई वकील है।