माता रानी का अद्भुत धाम जहां सच्चे मन से मांगी हर मनोकामनाएं होती है पूरी
हमारे देश का नाम धार्मिक देशों में शामिल है, हमारे देश के अंदर ऐसे बहुत से मंदिर मौजूद हैं जो अपनी अपनी विशेषताओं और चमत्कारों के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है, आपको देश भर के हर कोने में कोई ना कोई मंदिर देखने को अवश्य मिल जाएगा, जिन मंदिरों की अपनी कोई ना कोई विशेष मान्यता है, इसके अलावा देशभर में देवी मां के अनेक मंदिर मौजूद है, जो अपनी अद्भुत शक्ति के लिए विश्व भर में विख्यात है, इन मंदिरों में आए दिन कोई न कोई चमत्कार होते रहते हैं जिसके आगे लोगों की श्रद्धा देखने को मिलती है, आज हम आपको एक ऐसे ही माता के प्रसिद्ध मंदिर के बारे में जानकारी देने वाले हैं जो लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है, इस मंदिर के बारे में ऐसा बताया जाता है कि जो भक्त माता के इस मंदिर में अपने सच्चे मन से मनोकामना मांगता है तो उसकी मनोकामनाएं माता रानी अवश्य पूरी करती है।
हम आपको जिस मंदिर के बारे में जानकारी दे रहे हैं यह मंदिर बेल्हा देवी धाम के नाम से प्रसिद्ध है, इस मंदिर के अंदर सच्चे मन से मांगी गई हर मुराद अवश्य पूरी होती है, इस मंदिर के अंदर बहुत से लोग ऐसे हैं जो माता के दर्शन करने के लिए रोजाना नियमित रूप से आते हैं, जब नवरात्रि के दिन आते हैं तब माता के अलग-अलग स्वरूपों का श्रृंगार किया जाता है, यहां के पुजारी का ऐसा बताना है कि माता के दरबार में रात के समय और सुबह के समय आरती होती है, माता के इस मंदिर में लोग अपने बच्चों के मुंडन, कर्ण छेदन आदि संस्कार कराने के लिए आते हैं, इस मंदिर में मांगलिक कार्यक्रम भी किया जाता है, अगर किसी को माता के इस मंदिर में जाना है तो यहां पर पहुंचना बहुत ही सरल है, इलाहाबाद फैजाबाद मार्ग पर सई तट पर मां बेल्हा देवी मंदिर स्थित है, जो भक्त इलाहाबाद और फैजाबाद की ओर से आते हैं वह सदर बाजार चौराहे पर उतरकर पश्चिम की तरफ गई रोड से आगे चलकर दाहिने घूम जाए, लगभग 200 मीटर दूरी पर माता का यह भव्य मंदिर मौजूद है।
देवी माता के इस धाम को शक्तिपीठ का दर्जा दिया गया है, ऐसा बताया जाता है कि इस स्थान पर माता सती का कमर वाला हिस्सा गिरा था, इस मंदिर के अंदर सोमवार और शुक्रवार के दिन मेले का आयोजन किया जाता ,है जहां पर बहुत से लोग मौजूद होते हैं, वैसे तो इस मंदिर में रोजाना भक्तों की भीड़ देखने को मिलती है परंतु नवरात्रों के दिनों में इस मंदिर के अंदर लोगों का सैलाब टूट पड़ता है, माता के दर्शन करने के लिए लोगों की भारी भीड़ लगी रहती है।
इस मंदिर के विषय में लोगों का ऐसा मानना है कि इस स्थान पर राम वन गमन मार्ग के किनारे सई नदी को त्रेतायुग में भगवान श्री राम जी ने पिता की आज्ञा से वन जाने के दौरान पार किया था और यहीं उन्होंने पूजा करके अपने संकल्प को पूरा करने के लिए ऊर्जा प्राप्त की थी, वहीं इस मंदिर के बारे में दूसरी मान्यता अनुसार ऐसा कहा जाता है कि चित्रकूट से अयोध्या लौटने के दौरान भरत ने इस स्थान पर पूजा की थी, जिसके पश्चात यह मंदिर लोगों के अस्तित्व में आया था और इस मंदिर के प्रति लोगों की आस्था बढ़ने लगी थी।