पागल हाथी की कहानी: जीवन में हमेशा हालातों को देखकर ही निर्णय लेना चाहिए
एक आश्रम में हवन का आयोजन किया जाता है और इस हवन में कई सारे राजाओं को आने का निमंत्रण दिया जाता है। इस हवन की तैयारी में आश्रम के सभी शिष्य लग जाते हैं। तभी इन शिष्यों के पास आकर इनके गुरु इनसे कहते हैं, हवन करने के लिए हमें कई सारी लकड़ियों की जरूरत पड़ेगी इसलिए आप सभी जंगल जाकर वहां से लकड़ियां ले आएं।
गुरु की आज्ञा मिलते ही सभी शिष्य जंगल चले जाते हैं और लकड़ियां इकट्ठी करने लग जाते हैं। तभी एक शिष्य को एक जंगली हाथी आते हुए दिखता है। ये शिष्य अन्य शिष्यों को चेतावनी देता है और कहता है कि, सब रास्ते से हट जाओ एक पागल हाथी इसी और आ रहा है। अपने साथी की बात सुनकर हर कोई रास्ते से हटने लग जाता हैं।
लेकिन एक शिष्य रास्ते से नहीं हटाता है और लकड़ियां इकट्ठी करने में लगा रहता था। उसके साथी मित्र उसे रास्ते से हटने को कहते हैं। मगर वो किसी की भी बात नहीं सुनता है और उनसे कहता है, गुरु जी ने कहा था कि इस दुनिया की हर चीज में नारायण का वास है। इसलिए मैं जानता हूं कि ये हाथी मुझे कुछ भी नहीं करेगा। तुम लोग बेवजह इस हाथी से डर रहे हो।
वहीं थोड़ी देर बार ये हाथी इस शिष्य के पास आता है और इसे अपनी सूंड से उठाकर फेंक देते हैं। ये शिष्य बेहोश हो जाता है और इसे कई सारी चोटे आ जाती है। इस शिष्य के साथी इसे उठाकर आश्रम ले लाते हैं और ये काफी देर तक बेहोश ही रहता है।
कुछ देर बाद इसे होश आता है और तब गुरु अपने इस शिष्य से कहते हैं, तुम पागल हाथी को देखकर रास्ते से क्यों नहीं हटे ? ये शिष्य गुरु से कहता है, आपने ही तो कहा था कि इस दुनिया की हर चीज में भगवान का वास होता है। इसी वजह से मैं अपनी जगह से नहीं हटा और मैेंने हाथी को भगवान समझकर उसे नमस्कार किया। मगर उस हाथी ने मुझ पर हमला कर दिया और मेरी ये हालत हो गई।
अपने शिष्य की ये बात सुनने के बाद गुरु उसे कहते हैं, हां मैंने तुम्हें कहा था कि इस दुनिया के हर जीव में भगवान का वास होते हैं। लेकिन जब अन्य शिष्य तुमको वहां से हटा रहे थे, तब तुमने उनकी बात क्यों नहीं माना। क्या तब तुम्हें इन लोगों के अदंर भगवान नजर नहीं आए? इंसान को सदा हालातों को देखकर ही निर्णय लेना चाहिए और हमेशा अपने दिमाग का इस्तेमाल करना चाहिए। जो लोग एक ही बात को पकड़कर बैठ जाते हैं और उसी पर विश्वास करने लग जाते हैं, वो लोग मूर्ख होते हैं। अपने गुरु की ये बात सुनकर शिष्य को समझ आ गया कि उसने गलती की है और उसे अपने साथियों की बात मान लेने चाहिए थी।