जीवन में हर किसी के साथ प्रेमपूर्ण से रहना ही एक ‘अच्छे व्यवहार का रहस्य’ है
एक आश्रम में काफी ज्ञानी संत रहा करते थे और संत के द्वारा जो भी भविष्यवाणी की जाती थी वो सदा ही सच होती थी। दूर-दूर से कई सारे राजा इस संत से मिलने के लिए आश्रम में आया करते थे और ये संत हर किसी से हमेशा प्यार से ही बात किया करते थे।
एक दिन इस संत का एक शिष्य इनके पास आता है और संत से कहता है, गुरु जी क्या मैं आप से एक सवाल कर सकता हूं। संत अपने शिष्य को सवाल पूछने की आज्ञा दे देते हैं। फिर ये शिष्य संत से पूछता है कि, आप कैसे इतने शांत रहते हैं। मैंने कभी भी आपको किसी पर क्रोध करते हुए नहीं देखा है और आप सदा ही हर किसी से मधुर स्वर में ही बात करते हैं। आपके इतने अच्छे व्यवहार का क्या रहस्य है? आप कृपा मुझे ये रहस्य बता दें क्योंकि मुझे बहुत ही गुस्सा आता है, जिसकी वजह से मेरी हर किसी से लड़ाई हो जाती है। अपने शिष्य की बात सुननेे के बाद संत उसे कहते हैं, तुम्हें रहस्य बताने का क्या फायदा तुम दो हफ्तों में ही मरने वाले हो। संत की ये बात सुनकर शिष्य हैरान हो जाता है और बिना कुछ बोल वहां से चले जाता है।
संत की भविष्यवाणी को सुनने के बाद शिष्य के स्वभाव में काफी परिवर्तन आ जाता है और वो हर किसी के साथ प्रेम से रहने लग जाता है। आश्रम में जितने भी अन्य शिष्य होते हैं उनसे ये दोस्ती कर लेता है और अपने क्रोध के लिए सबसे क्षमा मांगता है। कुछ दिनों बाद ये शिष्य अपने संत के पास जाता है और संत से कहता है, इस आश्रम में सभी मेरे दोस्त बन गए हैं और अब मुझे गुस्सा भी नहीं आता है। मेरे स्वभाव में काफी बदलाव आया है और मैं इस बदलाव से काफी खुश हूं। मैंने इस आश्रम के सभी लोगों से अपने बुरे बर्ताव के लिए माफी मांगी है। मैंने सोच की क्यों ना आप से भी मैं माफी मांग लूं। इसलिए अगर मुझसे कोई भूल हुई हो तो आप मुझे माफ कर दें। मैं नहीं चाहता की मेरे जाने के बाद लोग मेरी बुराई करें।
अपने शिष्य की ये बात सुनकर संत कहता है, तुमने मेरे से कुछ दिनों पहले अच्छे व्यवहार का रहस्य पूछा था। मेरे अच्छे व्यवाहर का रहस्य ‘प्रेम’ है। इस जिंदगी का कोई भी भरोसा नहीं है इसलिए जब भी मैं किसी से मिलता हूं तो उससे प्यार से ही बात करता हूं।
ये शिष्य गुरु से कहता है, मेरे जितने भी दिन बचे हैं मैं उनमें और प्रेमपूर्ण से रहूंगा। तभी संत शिष्य से कहते हैं, मैंने जो तुम्हारी मौत की भविष्यवाणी की थी वो गलत थी। क्योंकि मैं तुमें मृत्यु का भय दिखाकर तुम्हारें अंदर का प्रेम जगाना चाहता था और मैं ऐसा करने में कामयाब हुआ। अब तुम अपने इसी प्रेम भावक मन से लोगों से मिला करो और सदा हर किसी ये प्रेम से ही बात किया करो।
अपने गुरु की ये बात सुनकर शिष्य को समझ आ गया कि इस संसार में प्रेमपूर्ण रहना ही एक अच्छे व्यवहार का रहस्य है।