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8 साल के बाद भी अधूरा है पीएम नरेंद्र मोदी का सपना, सामने है ये बड़ी चुनौती

लोकसभा चुनाव-2019 खत्म हो गया और प्रधनमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने जो कमाल कर दिखाया है वो अब तक दो ही प्रधानमंत्रियों के हिस्से आया एक जवाहर लाल नेहरू और दूसरी इंदिरा गांधी. इनके अलावा किसी भी प्रधानमंत्री को इतनी बहुमत नहीं मिली है. देश की आधे से ज्यादा जनता नरेंद्र मोदी को पसंद करती है और इसका प्रमाण है कि देश की प्रचंड लहर में मोदी सरकार की शानदार जीत हुई है. पीएम मोदी ने बहुमत से भी अधिक सीट हासिल कर एक बार फिर सत्ता अपने नाम कर ली है. फिर भी 8 साल के बाद भी अधूरा है पीएम नरेंद्र मोदी का सपना, कौन सा है ये सपना ?

8 साल के बाद भी अधूरा है पीएम नरेंद्र मोदी का सपना

साल 2014 में मोदी सरकार ने बहुमत हासिल की. दूसरी बार भी वही बहुमत हासिल की और अब 30 मई को शपथ लेने की तैयारी में हैं. नरेंद्र मोदी भले ही लोकसभा चुनाव जीत गए हों, लेकिन उनका आठ साल पुराना सपना आज भी अधूरा रह गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक बड़ा सपना आज तक पूरा नहीं हो पाया इस बारे में अब खुलासा हुआ है. मोदी ने आज से करीब आठ साल पहले अहमदाबाद के पास नया फाइनेंशियल सिटी बसाने का सपना देखा था और इसके माध्यम से 10 लाख लोगों को रोजगार मिलना था. पीएम का ये सपना अब तक पूरा नहीं कर पाए हैं और यही उनके लिए बड़ी चुनौती है. दरअसल साल 2011 में मोदी ने गुजरात में सिंगापुर और दुबई जैसा फाइनेंशियल हब बनाने की नींव रखी थी. उनका ये प्रोजेक्ट अब तक अधूरा है और इसके माध्यम से 100 से भी ज्यादा ऊंची इमारतें बनाई जानी थी. मगर आपको बता दें कि इस हब को गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक सिटी या गिफ्ट सिटी के नाम से जाना जाता है. ये नया शहर अहमदाबाद के पास बसाया जा रहा है.

इस प्रोजेक्ट के लिए टैक्स और नियामक संबंधी छूट भी दी गई थी और इसके साथ बैंकों और ब्रोकरेज फर्मों को भी यहां निवेश के लिए बुलाया गया था. इन तमाम प्रयासों के बावजूद ये प्रोजेक्ट अब तक अधूरा है. रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, प्रोजेक्ट के डवलपर दूसरे प्रोजेक्ट में घाटे के कारण आर्थिक संकट से गुजर रहे हैं, जिसकी वजह से ये अभी तक अधूरा है. रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ये नई फाइनेंशियल सिटी 6.2 करोड़ वर्ग फुट क्षेत्रफल में बसनी थी, जिसका अब तक 30 लाख वर्गफुट क्षेत्रफल ही डवलप हुआ. इस काम के जरिए करीब 10 लाख लोगों को नौकरियां मिलनी थीं, लेकिन अभी तक सिर्फ नौ हजार लोगों को ही नौकरियां मिली हैं. नरेंद्र मोदी इसे ही पूरा करना चाहते हैं और वे ये भी चाहते हैं कि उनके देश में उनके नेतृत्व में किसी भी युवा को बेरोजगार नहीं रहना चाहिए. इसलिए वे इसपर काम भी कर रहे हैं और इसका परिणाम देश के बेरोजगार युवाओं को मिलेगा.

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