‘टीचर्स डे’ पर जापान के स्कूल में दिया जाता है ये लंच, भारत से है बिल्कुल अलग
भारत में आंगनबाड़ी और कुछ सरकारी स्कूल में मिड-डे मील दिया जाता है. जिसमें कभी खिचड़ी, दाल रोटी या फिर कभी-कभी दलिया दी जाती है. उसमें कभी छिपकली गिरने की खबरें आती हैं तो कभी कुछ, यानी उन बच्चों के जीवन के साथ खेला जाता है. इस मामले में जापान से सीख लेनी चाहिए, जब वहां स्कूलों में टीचर्स डे हो या आम दिन हो, वहां बच्चों की सेहत का पूरा ख्याल रखा जाता है. ‘टीचर्स डे’ पर जापान के स्कूल में दिया जाता है ये लंच, इस लंच में वो खाने को मिलता है जो भारत के लोग खास दिनों में खाते हैं वो भी अपने घरों में ना कि किसी स्कूल या सरकारी स्कूल में, इस मामले में जापान हर किसी से बहुत ज्यादा आगे है.
‘टीचर्स डे’ पर जापान के स्कूल में दिया जाता है ये लंच
जापान के हर स्कूल में न्यूट्रिशन स्पेशलिस्ट के ध्यान में खाना बनता है, जहां बच्चों की डाइट के हिसाब से मैन्यू तैयार किया जाता है. लंच के समय बच्चे क्लास में बैठकर ही खाना खाते हैं और खुद ही उसे अपने लिए परोसते हैं. बच्चों को बाहर का खाना लाना बिल्कुल मना है क्योंकि उनके लिए वहीं पर खाना तैयार किया जाता है. इसके साथ ही बच्चों को स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर ही खाना खाने की सलाह दी जाती है.
जापन के ज्यादातर स्कूलों में लंच के समय बच्चों को मुख्यतौर पर चावल, मीट, सूप और एक मीठा दिया जाता है. इसके अलावा बच्चों को लुभाने के लिए वहां तरह-तरह के व्यंजन भी दिये जाते हैं और हफ्ते में एक बार जंक फूड भी खिलाया जाता है. कुछ बच्चे अपना टिफिन ही लाते हैं लेकिन जब वे बच्चे दूसरे बच्चों को खाने खाते देखते हैं तो उनकी भी इच्छा होती है और वे उससे प्रेरित होकर टिफिन लाना बंद कर देते हैं. जापान की इस मुहीम में सभी उनका साथ देते हैं और बच्चों के माता-पिता भी बच्चों के प्रति निश्चिंत ही रहते हैं क्योंकि उनके बच्चों को हैल्दी खाना मिलता रहता है. जापान के इस काम से हर किसी को सीख लेनी ही चाहिए.
भारत में इसका होता है उल्टा
भारत में भी सरकारी स्कूलों में बच्चों को खाना दिया जाता है, लेकिन जापान के स्कूलों की तरह यहां पर वो फैसिलिटी नहीं है जो होनी चाहिए. भारत में सरकारी स्कूलों में इसलिए ही कोई अपने बच्चों को पढ़ाना नहीं चाहता क्योंकि यहां बच्चों का ख्याल अच्छे से नहीं रखा जाता. सरकारी स्कूलों में प्राइवेट काम करने वालों में जो बहुत कम कमाते हैं वे ही अपने बच्चों को पढ़ाते हैं बाकि जो सरकारी नौकरी करते हैं वे प्राइवेट स्कूल में अपने बच्चों को पढ़ाते हैं. ये भारत की एक बड़ी जटिल समस्या है जिसे कोई भी सुलझाना नहीं चाहता और बल्कि ये दिन पर दिन उलझती ही जा रही है. भारत में बहुत सी चीजों को लेकर उलट-पलट है जो आम लोगों के लिए सही नहीं होता क्योंकि उनके पास पैसे नहीं है तो सरकारी स्कूल में पढ़ाने के लिए मजबूर हैं .