अध्यात्म

भगवान शिव की इस सावन में शाम के समय करें इस तरह से पूजा, दूर होगी अकाल मृत्यु की सम्भावना

देवों के देव महादेव का प्रिय महीना सावन शुरू हो गया है और यह आने वाले 26 अगस्त तक रहेगा। सावन के महीने में शिवभक्तों में एक अलग तरह का जोश देखने को मिलता है। सावन के महीने में शिवभक्त सैकड़ों किलोमीटर कंधे पर काँवर लेकर पैदल यात्रा करते हैं और भगवान शिव को जल चढ़ाते हैं। सावन के इसी महीने में भगवान शिव और भक्तों के बीच की दूरी कम हो जाती है, जिससे यह भक्तों की पुकार बहुत जल्दी सुन लेते हैं।

अक्सर लोग कहते हैं कि भगवान शिव की सावन के महीने में सुबह पूजा करनी चाहिए। लेकिन धर्मशास्त्रों में कहा गया है कि पूजा सुबह और शाम दोनो समय की जा सकती है। सुबह और शाम के समय पूजा करने से देवी-देवताओं का विशेष आशीर्वाद मिलता है। वैसे तो भगवान को याद करने के कोई समय नहीं होता है, लेकिन ये दो समय भगवान की पूजा के लिए सबसे अच्छे होते हैं। सावन महीने में व्रत करने के भी ख़ास महत्व होता है। इस महीने में महिलाएँ और कन्याएँ सोमवार के दिन व्रत रहकर भगवान शिव को प्रसन्न करने की कोशिश करती हैं।

शिवपुराण के अनुसार जो भी सावन के महीने में भगवान शिव का व्रत एवं उनकी पूजा करता है, उससे भगवान शिव बहुत ज़्यादा प्रसन्न होते हैं। भगवान शिव प्रसन्न होकर व्यक्ति को सुखी जीवन का आशीर्वाद देते हैं। भगवान शिव को महाकाल के नाम से भी जाना जाता है। इनकी विशेष पूजा करने से दुर्घटना और अकाल मृत्यु को भी टाला जा सकता है। शिवपुराण में भगवान शिव की पूजा के महत्वों और इनसे जुड़ी कई महत्वपूर्ण बातों के बारे में बताया गया है। भगवान शिव की शाम के समय पूजा के नियम भी शिवपुराण में बताए गए हैं।

शाम को सूर्यास्त के बाद भगवान शिव की पूजा करने का विशेष महत्व होता है। सूर्यास्त होते ही प्रदोषकाल शुरू हो जाता है। रात शुरू होने तक प्रदोषकाल ही रहता है। इस तरह से दिन औरवरात के बीच का समय जो लगभग 2 घंटे 24 मिनट का माना गया है, वह प्रदोषकाल कहलाता है। शिवपुराण के अनुसार इस समय भगवान शिव प्रसन्न रहते हैं। इसी वजह से इस समय में अगर कोई भगवान शिव की विशेष पूजा करता है तो उसे विशेष फल की भी प्राप्ति होती है।

इस तरह से करें पूजा:

*- सबसे पहले किसी शिवमंदिर में जाकर दीपक और धूपबत्ती जलाएँ।

*- नदी या किसी कुएँ से साफ़ जल भरकर लाएँ इस पानी में गंगाजल और कच्चा दूध मिला लें। इसके बाद इससे भगवान शिव का अभिषेक करें।

*- जल चढ़ाते समय ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप ज़रूर करें।

*- भगवान शिव को चंदन का तिलक लगाएँ।

*- इसके बाद बेलपत्र, धतूरा, और मदार के फूल भगवान शिव के ऊपर अर्पित करें।

*- भगवान शिव के ऊपर पूजन सामग्री चढ़ाने के बाद 108 बार ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करें। अब मिठाई का प्रसाद चढ़ाकर इसे भक्तों में बाँट दें।

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