जबरदस्त आईडिया और एक कमरे से एक लाख करोड़ की कंपनी बनी फ्लिपकार्ट, सक्सेज स्टोरी से जाने धंधे के गुर
एक आईडिया आपकी जिंदगी बदल देता है। इसी सूत्र को लेकर निकले दो युवाओं ने ऐसा सपना पूरा किया की देखते ही देखते महज दस सालों में दो कमरों से शुरु हुई कंपनी अरबों में बिकी है। आईआईटी से पास आऊट दो दोस्तों ने ऐसी मिसाल कायम की, जो देश की सबसे बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी बन गई। जिसको दुनिया की नामीगिरामी बड़ी-बड़ी कंपनियां खरीदने के लिए लाइन में लगी थीं। लेकिन आखिरी बाजी मारी वॉलमार्ट ने। आखिर कैसे बनी फ्लिपकार्ट अरबों की कंपनी, किसने किया इतना बड़ा, कैसे हुआ आखिर जन्म और कैसे पहुंची सफलता की चोटियों तक दस प्वाइंट में आपको बताते हैं।
आपकी पसंदीदा ई कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट अब वॉलमार्ट की होने जा रही है। अमेरिकी रिटेल चेन वॉलमार्ट फ्लिपकार्ट का 70% हिस्सा खरीदने का ऐलान करने जा रहा है। ई-कॉमर्स में फ्लिपकार्ट को टक्कर देने वाली कंपनी अमेजानफ्लिपकार्ट को खरीदना चाहती थी, लेकिन फ्लिपकार्ट के मालिकों को वॉलमार्ट का ऑफर पसंद आया। अब इस बात की चर्चा शुरु हो गई है कि पीएम मोदी का स्टार्टअप आईडिया कैसे साकार होगा। आप कैसे ऐसी कंपनियां खड़ी कर सकते हैं। इस आर्टिकल में हम आपको बताने जा रहे हैं।
- 1.फ्लिपकार्ट की शुरुआत आईआईटी दिल्ली के दो नवजवानों सचिन बंसल और बिन्नी बंसल ने किया था। दोनों पहले ऐमजॉन की नौकरी करते थे। दोनों ने वहां 2007 में इस्तीफा दिया। फिर फ्लिपकार्ट की शुरुआत ऑनलाइन बुकस्टोर के रूप मेंकी।
- फ्लिपकार्ट के दोनों मालिकों के नाम के आगे बंसल जरूर लगा है, लेकिन दोनों रिश्तेदार नहीं है। खासबात ये कि दोनों ने हिसार के ओपी जिंदल मॉडर्न स्कूल से पढ़ाई की। साथ में आईआईटी दिल्ली से कंप्यूटर साइंस में ग्रेजुएशन किया। आईआईटी से पास आऊट होने के बाद सचिन बंसल ने ‘टेकस्पैन’ में और बिन्नी बंसल ने ‘सैर्नऑफ कॉर्पोरेशन’ में नौकरी की। फिर दोनों ऐमजॉन में चले गए।
- दोनों साथ में ऐमजॉन में काम करते थे। जहां से फ्लिपकार्ट शुरु करने का आईडिया आया। शुरु में दोनों ने ऑनलाइन बुक स्टोर खोलकर शुरुआत की। कुछ दिनों बाद एक के बाद एक प्रोडक्ट बेचने शुरु कर दिए।
- फ्लिपकार्ट का जन्म बेंगलुरु के 2कमरों से शुरुआत हुई। कुछ दिनों बाद कंपनी ने विस्तार करते हुए2008 में दिल्ली और अगले ही साल यानी 2009 में मुंबई में दफ्तर खोला। हाल ही में कंपनी ने बेंगलुरु में दूर दूर फैले अपने दफ्तरों को 8.3 लाख स्क्वॉयर फीट के स्पेस में शिफ्ट किया।
- मोदी सरकार के एफडीआई लागू करने के बाद फ्लिपकार्ट ने विदेशी निवेश के लिए 2011 में सिंगापुर की तरफ कदम बढ़ाए। साथ ही देश भर में चल रही छोटी-छोटी ई-कॉमर्स कंपनियों को खरीदना शुरु किया। आज मिंट्रा, ईबे, फोनपे, चकपक जैसी कंपनियां फ्लिपकार्ट के अंडर काम करती है।
- दो दोस्तों की ये कंपनी जब करोड़ों का व्यवसाय करने लगी, तब भी दोनों पार्टनर आराम से काम करते रहे दोनों में कभी विवाद नहीं हुआ। शुरु में फ्लिपकार्ट सचिन बंसल के नेतृत्व में काम करती रही। वो 2009 से 9 साल तक फ्लिपकार्ट के सीईओ रहे। 2016 में बिन्नी बंसल सीईओ बन गए। जबकि सचिन ने एग्जिक्युटिव चेयरमैन का पद ले लिया।
- देश में जब लोगों के पास इंटरनेट बैंकिंग में विश्वास कम था तब 2010 में फ्लिपकार्ट ने सीओडी यानी कैश ऑन डिलिवरी का विकल्प दिया। नए कस्टमर्स बनाने के लिए फ्लिपकार्ट का यह बड़ा कदम था। कई लोग केवल इसलिए ऑनलाइन शॉपिंग नहीं करते थे, क्योंकि उन्हें डर रहता था कि पता नहीं प्रॉडक्ट कैसा होगा। इसे देखते हुए फ्लिपकार्ट ने बिना किसी कारण बताए रिटर्न करने का ऑप्शन दिया।
- 9.2014 से पहले परंपरा यह थी कि पहले प्रॉडक्ट ऑफलाइन लॉन्च होता था और फिर ऑनलाइन सेल के लिए आता था, लेकिन फ्लिपकार्ट ने मोटोरोला के साथ मिलकर एक्सक्लूसिव सेल शुरु की। जो आज ट्रेंड है। इसके साथ ही फ्लिपकार्ट की नो कॉस्ट EMI का लोगों को महंगे प्रॉडक्ट्स खरीदने में काफी फायदा हुआ।
- आजफ्लिपकार्ट ने लोगों को अपने पुराने प्रॉडक्ट्स एक्सचेंज करने का ऑप्शन दिया। कंपनी ने लोगों को इसके लिए अच्छी-खासी डील्स भी दीं। मोबाइल जैसे प्रॉडक्ट्स में इसका सबसे ज्यादा फायदा हुआ