मैं बच्चा पैदा करने वाली मशीन नहीं हूं- जब गुस्से से तिलमिला कर बोली विधा बालन, जाने वजह
जब मां बनने के सवाल पर भड़क उठी विधा बालन। बोली बच्चों को लेकर ये क्या पागलपन लगा रखा है? जरूरी नहीं कि सबका बच्चा हो। मैं कोई बच्चा पैदा करने वाली मशीन हूं?
नमस्कार दोस्तों। शादी के बाद हर महिला से अक्सर ये सवाल पूछा जाता है “खुशखबरी कब सुना रही हो?” यानि बच्चा कब पैदा कर रही हो। हर कोई महिला से शादी के तुरंत बाद बच्चे की उम्मीद रखता है। ऐसे में महिलाएं भी परिवार और समाज के प्रेशर में आकर बच्चा पैदा कर लेती हैं। लेकिन जब विधा बालन से समाज के ठेकेदारों ने मां बनने को लेकर सवाल किए तो उन्होंने ऐसा जवाब दिया कि सबके मुंह बंद हो गए। विधा ने गुस्से में कहा कि क्या मैं कोई बच्चा पैदा करने वाली मशीन हूं? अब ऐसा क्या हुआ जो विधा को मीडिया के सामने बच्चे को लेकर ऐसा बयान देना पड़ा? इस मामले की पूरी सच्चाई जानने के लिए अंत तक बने रहिए।
विधा बालन बॉलीवुड में बोल्ड और बेबाक अभिनेत्री के रूप में जानी जाती हैं। उन्होंने अपने फिल्मी करियर में कई महिला प्रधान फिल्मों में काम किया। इसलिए वह महिलाओं के हक और उनसे जुड़े मुद्दों पर खुलकर बोलती हैं। विधा ने साल 2012 में फिल्म प्रोड्यूसर सिद्धार्थ रॉय मल्होत्रा से शादी रचाई थी। उनकी शादी को दस साल से ऊपर हो गए हैं। लेकिन इसके बावजूद वह आज तक मां नहीं बनी है। उनसे जब भी कोई ये सवाल पूछता है तो वह भड़क जाती है।
साल 2017 में भी वह ऐसी ही भड़की थी। जब उनका बयान “मैं कोई बच्चा पैदा करने वाली मशीन हूं।” बड़ा वायरल हुआ था। दरअसल तब विधा का वजन काफी बढ़ गया था। और वह बार बार एक डॉक्टर के चक्कर भी लगा रही थी। ऐसे में उनकी प्रेग्नेंसी की झूठी खबरे मीडिया में खूब चल रही थी। फिर हर कोई उनसे प्रेग्नेंसी को लेकर सवाल पूछने लगा। बस इसी पर भड़क कर विधा ने कुछ ऐसा कहा था कि सबकी बोलती बंद हो गई थी।
विधा ने एक इंटरव्यू के दौरान अपना गुस्सा जाहिर करते समाज के प्रेशर को लेकर बातें की थीं। उन्होंने कहा था कि “बच्चे पैदा करने को लेकर यह पागलपन क्या है? मैं बच्चा पैदा करने की मशीन नहीं हूं। दुनिया की आबादी बढ़ती जा रही है, अगर कुछ लोगों के बच्चे नहीं होंगे तो गलत क्या है?”
अपनी प्रेग्नेंसी की अफवाहों पर विधा ने कहा था “मुझे बहुत बुरा लगता है, मैं एक्ने के लिए भी तो डॉक्टर के पास जा सकती हूं। शादी के बाद अगर लड़की डॉक्टर के पास जाती है तो हमेशा उसकी प्रेगनेंसी की बात ही क्यूं होती है?”
विधा ने अपनी बात को आगे जारी रखते हुए खुद की शादीशुदा जिंदगी के कुछ ऐसे उदाहरण भी दिए जिसमें समाज की पिछड़ी सोच साफ दिखाई दे रही थी। उन्होंने कहा, ‘मेरे पड़ोसी और रिश्तेदार हमारी शादी होने के बाद से ही पैरेंट्स बनने के सवाल पूछ रहे हैं। जिस दिन मेरी शादी हुई थी, मेरे एक अंकल ने वेडिंग वेन्यू पर कहा था कि अब अगली बार जब मैं मिलूं तो दो नहीं तीन लोग होने चाहिए। मुझे इस बात पर हंसी आई थी क्योंकि मैंने और सिद्धार्थ ने तब तक हनीमून डेस्टिनेशन भी प्लान नहीं किया था’।
विधा का मानना है कि महिला को अपनी मर्जी से मां बनने का फैसला लेने का हक होना चाहिए। वह किस उम्र में बच्चा पैदा करना चाहती है और करना चाहती भी है या नहीं, यह उसकी निजी राय है। और हमे इसकी रिस्पेक्ट करना चाहिए। उस पर बच्चे को लेकर प्रेशर नहीं डालना चाहिए। आखिर महिलाएं कोई बच्चा पैदा करने की मशीन थोड़ी न है।
अब विधा के इस बयान पर आपकी क्या राय है? क्या महिलाओं को अपनी मर्जी से बच्चे पैदा करने का हक होना चाहिए? या फिर उन्हें परिवार और समाज की बात मानकर उनके हिसाब से बच्चे पैदा करना चाहिए? अपनी राय हमे कमेन्ट में जरूर बताएं।