300 वर्ष इस पुराने शिवलिंग का जलाभिषेक स्वयं करती है नर्मदा नदी, भक्तों की लगी रहती है भीड़
ऐसा कहा जाता है कि अगर पत्थर को भी भगवान मानो तो उसका भी चमत्कार लोगों को देखने को मिलता है, ना मानने वाले के लिए इस संसार में कुछ भी नहीं है, परंतु वास्तव में देखा जाए तो इस दुनिया में ऐसे बहुत से चमत्कार होते हैं जिन पर लोगों को विश्वास करना लगभग नामुमकिन रहता है, हमारे देश भर में ऐसे बहुत से चमत्कारिक मंदिर है जिनकी अपनी अपनी विशेषता है और यह दुनिया भर में अपने चमत्कार के लिए जाने जाते हैं, आप लोगों ने भगवान शिव जी के बहुत से मंदिर देखे होंगे और उनके चमत्कारों के बारे में भी सुना होगा, वर्तमान समय में भोलेनाथ के भक्तों की कोई कमी नहीं है ऐसा कहा जाता है कि जो भक्त अपने सच्चे मन से भगवान शिव जी की पूजा अर्चना करता है उसकी मनोकामनाएं अवश्य पूरी होती है, भगवान शिव जी के ऐसे बहुत से मंदिर हैं जिनकी अपनी-अपनी मान्यता है, आज हम आपको भगवान शिव जी के एक ऐसे मंदिर के बारे में जानकारी देने वाले हैं जिस मंदिर में स्थापित शिवलिंग का जलाभिषेक खुद नर्मदा नदी करती है जी हां, आप लोग बिल्कुल सही सुन रहे हैं इस 300 वर्ष पुराने शिवलिंग का जलाभिषेक स्वयं नर्मदा नदी करती है।
हम आपको जिस मंदिर के बारे में जानकारी देने वाले हैं यह मध्यप्रदेश के देवास जिले में एक शिव मंदिर स्थित है जहां पर 300 वर्ष पुराना शिवलिंग स्थापित है और इस शिवलिंग का जलाभिषेक स्वयं नर्मदा नदी करती है, यह शिव मंदिर देवास जिले के बागली से लगभग 3 किलोमीटर दूरी पर मौजूद है, इस मंदिर को लोग जटाशंकर महादेव मंदिर के नाम से जानते हैं, इस मंदिर के बारे में ऐसा बताया जाता है कि यह मंदिर बहुत ही पुराना है परंतु यह मंदिर कितना पुराना है इसके बारे में कोई पुख्ता जानकारी उपलब्ध नहीं है, इस मंदिर के साथ ही राम दरबार, राधा कृष्ण और हनुमान मंदिर भी स्थित है, वैसे महादेव के इस मंदिर के अंदर हमेशा भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिलती है परंतु सावन के महीने में यहां का नजारा देखने लायक होता है, आखिर इस मंदिर में मौजूद शिवलिंग का जलाभिषेक नर्मदा नदी के द्वारा किए जाने के पीछे क्या कहानी है? आज हम आपको इस कहानी के बारे में बताने वाले हैं।
एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार ऐसा बताया जाता है कि लगभग 250 वर्ष पहले यहां पर भगवान दास नाम के एक महात्मा रहा करते थे और यह रोजाना नियमित रूप से नर्मदा नदी में स्नान करने जाते थे स्नान करने के पश्चात वह नर्मदा नदी के जल से शिवलिंग का जलाभिषेक किया करते थे, वह कई वर्षों तक इसी प्रकार नियमित रूप से शिवलिंग का जलाभिषेक किया करते थे, एक बार वह वृद्धावस्था में बीमार हो गए जिसके कारण नदी में स्नान करने नहीं जा पाए और उन्होंने शिवलिंग का जलाभिषेक भी नहीं किया, ऐसा बताया जाता है कि खराब तबियत की स्थिति में भगवान दास जी ने मां नर्मदा का आवाहन किया था उसके पश्चात स्वयं नर्मदा नदी प्रकट हुई थी और भगवान दास को आश्वासन दिया कि अब से मैं हमेशा यहां रहकर शिवलिंग का जलाभिषेक करूंगी, इस कथा के अनुसार उसी समय से नर्मदा नदी की जलधारा शिवलिंग से होकर बहती रहती है।
अगर आप इस मंदिर में कभी घूमने का विचार बनाए तो इस मंदिर का नजारा आपको काफी आकर्षित करेगा, पर्यटन के लिहाज से जटाशंकर महादेव मंदिर बहुत ही अच्छा माना गया है, यहां तक पहुंचने के लिए जंगलों का रास्ता है, आपको इस मंदिर में जाने के लिए जंगलों का रास्ता पार करना पड़ेगा, सावन के महीने में इस मंदिर के अंदर लोगों की भारी भीड़ लगी रहती है, ऐसा बताया जाता है कि इस मंदिर में जो सच्चे मन से मांगा जाए वह प्रार्थना मंजूर हो जाती है।