शान से जीने के लिए इन तीन कामों में बनो बेशर्म, हमेशा खुश और सफल रहने के मंत्र

अक्सर लोग जिंदगी में बहुत कुछ करना चाहते हैं लेकिन लोगों की रोक-टोक और आलोचनाओं के कारण कुछ कामों को करने में पीछे हट जाते हैं. ऐसा भारत की महिलाओं के साथ तो होता ही है लेकिन पुरुष भी समाज की इस कूटनीति का शिकार हो जाते हैं. ऐसे में जो सच्चे दिल से सफल होना चाहते हैं या फिर बात भोजन की ही हो जाए अगर वो पेट भर कर खाना चाहता है और उसे खाना मिल भी रहा है लेकिन लोग क्या कहेंगे क्या कहेंगे इस डर से खाते ही नहीं इसी तरह से बहुत से ऐसे काम हैं जिनमें हमें बेशर्म बनने में पीछे नहीं हटना चाहिए. लेकिन अगर शान से जीने के लिए इन तीन कामों में बनो बेशर्म, फिर देखिए ना आप भूखे रहेंगे और ना ही आपका कोई काम ही रुकेगा.
शान से जीने के लिए इन तीन कामों में बनो बेशर्म
समाज में हमे आज तक यही सुनने को मिला हैं कि इंसान को सबकुछ बनना चाहिए लेकिन बेशर्म नही बनना चाहिए. क्योंकि बेशर्म लोगों के लिए समाज नहीं होता वो सिर्फ अच्छे और सच्चे के लिए ही होता है लेकिन आचार्य चाणक्य नीति के अनुसार अगर इंसान इन तीन चीजों में बेशर्म नहीं बना तो उसे हमेशा ये दुनिया कुचलती हुई पीछे धक्का दे देगी और वो इंसान हमेशा इसी मलाल में रहेगा कि वो क्यों नहीं बना बेशर्म. आचार्य ने ऐसे 3 कार्यों के बारे में बताया हैं जिनको करते समय हमे बेशर्म बनना बहुत जरुरी हो जाता है हैं अगर शान से जीना हैं तो ये 3 काम हैं जिनमें हमें बेशर्म बनना चाहिए, इसमें कुछ गलत नहीं होता.
1. चाणक्य के अनुसार, हम जब भी खाना खाते हैं तो अक्सर शर्म के मारे जो पसंद है वो मांग नहीं पाते और कभी-कभी भूखे ही उठना पड़ता है. भोजन करते समय इंसान को बेशर्म होना चाहिए जो व्यक्ति भोजन करते हैं समय शर्म करता है वो कभी भी सुखी नहीं रह सकता है. क्योंकि भोजन के समय शर्म करने वाले इंसान को भुखा भी रहना पड़ता है, इसलिए भोजन करते समय शर्म छोड़ देनी चाहिए.
2. आचार्य चाणक्य के अनुसार, दूसरी ये बात है कि जो लोग ज्ञान अर्जित करते समय या पढ़ाई के समय शर्म महसूस करते है वे कभी भी अच्छे से ज्ञान प्राप्त नहीं कर सकते. जो लोग पढ़ाई करते समय शर्म करते हैं वे जिंदगी भर पछताते हैं. इसलिए पढ़ते समय जब तक आपको कुछ समझ नहीं आता सवाल करते रहो ये मत सोचो कौन देख रहा है कौन सुन रहा है.
3. आचार्य चाणक्य के अनुसार, तीसरी ये बात है कि जो लोग धन कमाने के मामले में शर्म-संकोच करते हैं वे कभी भी अमीर नहीं बन सकते. जो व्यक्ति व्यापार या व्यवहार से संबंधित पैसों की लेनदेन करने में शर्म महसूस करते है, वे ना कुछ बन पाते हैं और ना पैसा कमा पाते हैं. इसलिए हमेशा गरीब बनने से अच्छा है कि जब आपका मौका है तब पैसे अपने हों या किसी जरूर काम से कर्ज लेना हो उसे मांगने में शर्म नहीं करनी चाहिए.