राज कुमार की पुण्यतिथि पर सुनिये उनके 10 हिला देने वाले सहाबहार डायलॉग्स
बॉलीवुड के बेहतरीन अभिनेताओं में शामिल राज कुमार की फिल्में आज भी लोग देख लें तो उनकी जैसी एक्टिंग करने पर मजबूर हो जाते हैं. 3 जुलाई, 1996 को कैंसर की बीमारी से जूझ रहे राज कुमार का निधन मुंबई में हो गया था. राज कुमार जैसे दिग्गज को गुजरे 22 साल हो गए लेकिन आज भी उनकी फिल्में और डायलॉग्स लोगों को याद हैं और वे कई रिएलिटी शोज में बोले जाते हैं. आज भले वे हमारे बीच में ना हों लेकिन उनके बोलने का स्टाइल, सफेद कपड़े और सफेद जूते को आज भी कई लोग कॉपी करते हैं. बॉलीवुड के इस सुपरस्टार राज कुमार अपने डायलॉग्स डिलीवरी के लिए फेमस थे क्योंकि ये अपने साधारण डायलॉग भी स्वैग के लहेजे से बोलेते थे. सिनेमाहॉल में बैठे दर्शक इनके एक डायलॉग पर सीटियां और तालियां बजाते थे, राज कुमार के डायलॉग्स का स्वैग आज भी जीवित है. आज राज कुमार की पुण्यतिथि पर सुनिये उनके 10 लाजवाब डायलॉग्स, जो आपको पुरानी याद में ले जाएंगे.
राज कुमार की पुण्यतिथि पर सुनिये
8 अक्टूबर, 1926 को राज कुमार का जन्म ब्रिटिश भारत में लारोलाई नाम के गांव में हुआ था जो अब पाकिस्तान के हिस्से में है. इनका असली नाम कुलभूषण पंडित था और फिल्मों में आने से पहले वे मुंबई पुलिस में सब-इंसपैक्टर के पद पर नियुक्त थे. साल 1952 में फिल्म रंगीली से इन्होंने बॉलीवुड में कदम रखा और इसके बाद तिरंगा, सौदागर, जंगबाज़, हीर रांझा, मरते दम तक और मदर इंडिया जैसी आइकॉनिक फिल्मों में काम किया. राज कुमार ने गायत्री नाम की लड़की से शादी की थी और इन्हें इन्हें दो बेटे और एक बेटी भी हैं. इनका बड़ा बेटा पुरु राजकुमार ने बॉलीवुड में फिल्म बाल ब्रह्मचारी से सफल शरुआत की थी. मगर दर्शकों ने इन्हें फिल्मों में देखने से नकार दिया और अब ये बॉलीवुड से कोसों दूर हैं. राज कपूर ने दिलीप कुमार, राजेश खनना, नाना पाटेकर और देव आनंद जैसे बड़े दिग्गजों के साथ भी काम किया है. अब चलिए सुनाते हैं आपको उनके 10 सदाबहार डायलॉग्स.
1. ”ये बच्चों के खेलने की चीज नहीं… कट जाए तो खून निकलने लगाता है”- फिल्म वक्त (1965).
2. ”हमारी जुबान भी हमारी गाली की तरह है, दुश्मन से सीधी बात करती है” – फिल्म तिरंगा (1993).
3. ”हम तुम्हें वो मौत देंगे जो न ही किसी कानून की किताब में लिखी होगी और न ही किसी मुजरिम ने सोची होगी” – फिल्म तिरंगा (1993) .
4. ”जानी… हम आंखों से सुरमा नहीं चुराते, आंखें ही चुरा लेते हैं” – फिल्म तिरंगा (1993).
5. ”हम तुम्हें मारेंगे और जरूर मारेंगे, लेकिन वो वक्त भी हमारा होगा, बंदूक भी हमारी होगी और गोली भी हमारी होगी” – फिल्म सौदागर (1991).
6. ” खुदी को कर बुलंद इतना कि हर तकदीर से पहले, खुदा बंदे से खुद पूछे बता तेरी रजा क्या है” – फिल्म बुलंदी (1981).
7. ”दादा तो इस दुनिया में दो हैं एक उपर वाला और दूसरे हम” – फिल्म मरते दम तक (1987).
8. ”हमको मिटा सके वो जमाने में दम नहीं… हमसे जमाना है, जमाने से हम नहीं” – फिल्म बुलंदी (1981).
9. ”आपके पांव देखे.. बहुत हसीन हैं… इन्हें जमीन पर मत उतारिएगा, मैले हो जाएंगे’- फिल्म पाकीजा (1972) .
10. ”चिनॉय सेठ, जिनके घर शीशे के बने होते हैं, वो दूसरों पर पत्थर नहीं फेंकते” – फिल्म वक्त (1965) .